सील तोड़ चुदाई बहू की

Sasur bahu sex kahani – यह ससुर-बहू सेक्स कहानी निम्न आय वर्ग के परिवारों से प्रेरित है। जब एक आदमी अपने बेटे के लिए एक लड़की को देखने गया, तो उसे दो दिन के लिए रोक लिया गया और अपनी लड़की को उनकी देखभाल में भेज दिया।

राकेश सिंह अपनी पत्नी के साथ सीमा देखने गए।
सीमा को देखते ही उनका लंड टनटना गया।

पुरानी परंपरा के अनुसार, राकेश सिंह अपने बेटे की ससुराल में दो दिन रुक गए।
यह दोनों परिवार निम्न आय वर्ग से आते थे, इसलिए उनके अपने तरीके थे।

सीमा रात में अपने होने वाले ससुर को तेल लगाने आई।

राकेश सिंह: बेटी, क्या नाम है?
सीमा: मैं सीमा हूँ, अंकल. मैं आपका तेल मालिश करने आया हूँ।

राकेश सिंह ने उसे देखते ही अपना लंड टनटना उठा और पैर पसारते हुए कहा-बहुत सुंदर नाम है।

सीमा: धोती कपड़े उतार दें, नहीं तो तेल लग जाएगा।
यह सुनकर राकेश सिंह चित लेट गया।

उनका सर्प अंडरवियर के अंदर फुंफकारने लगा।
तेल लगाते हुए सीमा के हाथ से लंड का स्पर्श होते ही राकेश का उत्साह और भी बढ़ा। ससुर-बहू का यौन संबंध उसके मन में आने लगा।

सीमा ने कहा कि टांगों के बीच में मालिश करने के लिए अंडरवियर उतार देना चाहिए।

राकेश ने अपना अंडरवियर उतारकर उसे हटा दिया।
सीमा लंड की मालिश करने लगी।

राकेश उत्तेजित होकर सीमा को गोद में लेकर उसके मुँह में चूमा।
उसकी छोटी छोटी चूचियों को भी मसल दिया।

सीमा ने उत्तेजित होकर कहा कि मुझे अच्छा नहीं लग रहा है।
राकेश ने कहा, “अरे बहू, ऐसा क्यों कह रहे हो?” हम सिर्फ आपसे प्यार कर रहे हैं।

सीमा इस बारे में कुछ नहीं कहा।

नाइटी उतारकर अलग रखकर, राकेश सिंह ने छोटे टाइट से एक संतरे को मुँह में रखकर चूसने लगा।
उसे सीमा की चूचियां बहुत मस्त और रसभरी और नरम लगीं।

अब राकेश ने सीमा की कुंवारी चूत पर हाथ रखकर उसे सहलाने लगा।
सीमा भी चुदासी हो गई और मजे से अपनी चूत रगड़ने लगी।
राकेश ने सीमा को कुछ नहीं कहते हुए उसकी चड्डी में उंगली घुसाई और उसकी चूत में उंगली करने लगा।

इसके परिणामस्वरूप सीमा प्रणाली नष्ट होने लगी।
और अधिक उत्तेजित होकर राकेश ने सीमा को नंगा कर दिया।
उसने कुछ नहीं कहा।

राकेश ने अपनी टांगें फैला कर उसकी छोटी गुलाबी चूत में मुँह डाला और जीभ की नोक से चूसने लगा।
सिसकारियां भरते हुए, सीमा ने अपने पैर फैलाए और चूत से रस निकलने लगा।

उसकी कमसिन बुर से निकला रस राकेश ने प्रसाद समझकर पी लिया।
कोरी बुर का पानी पीने योग्य है।

सिसकारियां भरती हुई सीमा बहू ने कहा कि उसके बुर में खुजली हो रही है। खुजली दूर करो।

“सीमा बेटा, तुम्हारी बुर की खुजली मिटाने के लिए मेरी सुसु को ही अंदर जाना पड़ेगा,” राकेश ने कहा।
सीमा, जल्दी से मेरी बुर की खुजली दूर करो।

राकेश ने भी अपना सुपारा सीमा की कुंवारी बुर के छेद में सैट करते हुए लंबा और मोटा लंड हिलाया।
लंड का सुपारा सीमा को आग का गोला सा लगा, वह अपनी बुर को लौड़े से रगड़ते हुए कमर चलाने लगी।

राकेश सिंह नहीं रहा और चूत की फांकों में लंड डालकर हल्का सा धक्का लगाया।
राकेश सिंह का तीन इंच का लंड सीमा की लिसलिसी चूत में घुस गया।

सीमा तड़फ उठी और रोते हुए कहा, “मां मर गई।” मुझे बुरा लगा..। आह, इसे जल्दी निकाल दो..। मेरे बुर में दर्द है।

राकेश को शैतान ने सवार किया।
उसने सीमा को अनदेखा करते हुए एक और धक्का मारकर पूरा लंड बुर में ठोक दिया।

बिछावन पर खून बह रहा था।

सीमा रोने लगी, “ऊई मां… ऊई मां।”
लेकिन राकेश सिंह ने उसे नहीं देखा। इसलिए उसकी आवाज दब गई।

तुम हमारी होने वाली बहादुर बहू हो, इतने दर्द से डर गया, राकेश ने अपनी कमर हिलाते हुए अपने लौड़े को सीमा की चूत में सैट करते हुए कहा। क्या तुम खुजली मिटी हो?

सीमा ने कहा कि हां, खुजली दूर हो गई है, लेकिन बुर बहुत दर्द करता है।
राकेश ने बताया कि जब दर्द मिट जाएगा, तो खुजली भी मिट जाएगी। अब देखो, तुम खुद बताओगे।

यही हुआ।
पांच मिनट के बाद सीमा ने कहा कि दर्द अब ठीक हो गया है, लेकिन बुर में बहुत दर्द है।

यह सुनकर राकेश खुश हो गया और सीमा को दनादन चोदने लगा।

सीमा खुश होकर कहा, “आह, यह बहुत मज़ा आ रहा है।” और जोर से धक्का मत मारिए!

“मेरी होने वाली बहू, अब सब ठीक हो जाएगा और तुम्हें आगे से बहुत मजा आएगा,” राकेश ने कहा, उसकी एक चूची को मुँह से चूसते हुए बाहर निकाला।

हां, बहुत मजा आ रहा है अंकल, सीमा ने कहा, अपनी गांड उठाकर। बस दनादन धक्के मारकर मेरी बुर को फाड़ दीजिए..। आह सर..। बहुत मनोरंजक है..। आह, अधिक जोर से धक्का मत मारिए..। आह, आह, ओह।यह कहते ही सीमा सिसकारियां भरने लगी।

साथ ही, राकेश सिंह ने दनादन बुर में एक्सप्रेस मेल से चोदते हुए कहा, “मेरी प्यारी बहू… सच में कितनी सुघड़ है।”

वह अपनी होने वाली बहू की सील फाड़ चुदाई करने में मशगूल हो गया।

सीमा को चोदते हुए राकेश ने उसके मुँह, गाल और चूची को अच्छी तरह सहलाया।

मेरी दुलारी बहू, वह बोली, “अपने ससुर के लंड का स्वाद ले लो।”

कमरे में बस फच फच फचाक की आवाज आने लगी।

कुछ समय बाद राकेश झड़ने को हुआ और सीमा की बुर में अपना सारा वीर्य डाल दिया।
उसकी चूत से पानी निकलने लगा।

राकेश सिंह ने सीमा की पीठ थपथपाकर उसकी हौसला अफजाई की, फिर सीमा की चूत से लंड खींचकर उठ गया।

फिर राकेश ने सीमा की बुर और लंड को अपने गमछा से पौंछकर कहा, “मेरी होने वाली बहू, जाओ तुम पास हो गई।”

सीमा से उठते ही राकेश ने धोती कुर्ता पहनकर अपना अंडरवियर पहना।
तब सीमा ने नाइटी पहनकर और चड्डी पहनकर खड़ी हो गई।

सीमा खुशी से अपने ससुर के पैर छुए और प्रणाम करके निकल गई।
राकेश सिंह भी अपनी होने वाली बहू सीमा को अपनी पतली कमर लचकाते हुए देखता रह गया।

राकेश सिंह ने सुबह अपने समधी रघुवीर से बातचीत करके अपने बेटे सोहन की शादी सीमा से कर दी।
एक सप्ताह बाद शादी बिना दहेज के हुई।

राकेश के घर के लोगों ने शादी के दूसरे दिन बहू सीमा को विदा करवाकर उधार लिए गांव से एक ऑटो से घर लाने लगे।

उन्होंने सोहन को दूल्हा बनाया और सीमा को दुल्हन बनाया, और राकेश खुद कार चलाने लगा।
चलते-चलते शाम हो गई।

उस रात की चुदाई को याद करके राकेश सिंह खड़ा हो गया और अपने लंड को सहलाने लगा।

उसकी नई नवेली बहू सीमा ने भी इसे देखा।
उसकी बुर भी ससुर के कठोर लंड से चुदाई करने के लिए चीखने लगी।

वह अपने पति सोहन से कहा, “जी, बाबूजी लगता है कि ऑटो चलाते हुए थक गए हैं।” आप आगे जाकर कार नहीं चलाइएंगे। पिताजी पीछे बैठकर सुस्ता लेंगे।

वह आगे की सीट पर बैठकर गाड़ी चलाने लगा, पूरा ध्यान आगे देखने में था।

पीछे राकेश सिंह ने बहू के हाथ में अपना लंबा मोटा लंड दिया।

ससुर के लंड पर मुँह रखकर बहू बैठ गई, चड्डी निकालकर।
धीरे-धीरे, ससुर ने अपनी पत्नी की चूत में पूरा लंड ठोक दिया।

अब ससुर बहू चुदाई में सड़क खराब रहने का मजा ले रहे थे।
ऑटो हर गड्डे में आते ही उछलता और गिरता है, जिससे ससुर बहू के लंड चूत आपसे खूब रगड़ते हैं।

धीरे-धीरे बहू की चूत को चोदने लगा लंड।

उसकी पत्नी ने अपने हाथ से दोनों चूचियों को मसलने लगा।

अब अंधेरा भी आ गया था और ससुर बहू दोनों ही आसन बदलकर चुदाई कर रहे थे।

वे दोनों चुदाई में इतने व्यस्त थे कि घर आने का समय नहीं पता था।

सोहन ने कहा कि पिताजी घर आ गए हैं। तब जाकर उठा।

राकेश सिंह ने कहा कि सबको बोलना होगा, जाकर बहू को अंदर बताओ।

हर्षित होकर सोहन उछलकर गया और चिल्लाकर कहा कि बहू आई है।
राकेश सिंह ने इतनी जल्दी अपनी धोती और अंडरवियर ठीक कर लिया।
साथ ही बहू ने चड्डी पहनकर साया-साड़ी पहन ली।

घर की महिलाएं खुशी से बाहर निकलकर कहा कि हमारी सुंदर बहू आ गई।

ऑटो से उतरकर राकेश सिंह मुस्कराकर अपनी मूंछ पर ताव देने लगा।

बहू को सम्मानपूर्वक अंदर ले जाया गया।
सोहन की शादी की तैयारी शुरू हो गई।

नियम बनाकर बहू को अंदर भेजा गया।

राकेश सिंह ने सुहागरात का आनंद लेने की ठान ली।

राकेश सिंह का कमरा सुहागरात कमरे के बगल में था, जिसमें एक दरवाजा था जो जानबूझकर थोड़ा खुला था।

रात में सोहन ने अपनी पत्नी को बहुत प्यार करने लगा और एक-एक करके उनके साड़ी, ब्लाउज और चड्डी उतारकर फेंक दिए।
वह अपना लंड हाथ में लेकर आगे आया और बहू के हाथ में उसे सहलाने के लिए दे दिया।

नाखुश होकर बहू ने कहा कि आपको जो करना है, जल्दी करो।
सोहन भी चुम्मा चाटी लेकर बुर में अपना लंड घुसाकर चोदने लगा।

वह निर्जीव लाश की तरह लेट गई और टांगें फैला दीं।
वह चुदवाती हुई पूछा: तुम्हारे घर में कौन-कौन लोग हैं?

“हम सिर्फ दो आदमी हैं—सोहन ने कहा। अब तुम घर में बहू बन गए हो, तो तीन आदमी हो गए।

तुम्हारे बाबूजी कहां सो रहे हैं, बहू ने मुस्कराकर पूछा।

उस कमरे में सोते हैं—सोहन ने बगल वाले कमरे को दिखाया। बीच में भी एक दरवाजा है। जब जरूरत होती है, बाबूजी से संपर्क करना।

तुमको बुरा नहीं लगेगा? सीमा ने यह सुनकर बहुत खुश होकर पूछा।

“बाबूजी बूढ़े हो गए हैं, इसलिए शादी करके तुमको लाया गया है,” सोहन ने मुस्कराकर कहा। उनके पैर और हाथ बहुत दर्द करते हैं। इसलिए गाँव की एक लड़की हर दिन हाथ-पैर दबाने आती थी। अब वह नहीं आएगी; आप जो आए हैं, बाबूजी के हाथ-पैर दबाने के लिए तैयार हैं।

इसके बाद सोहन के लंड ने पानी डाला।

सोहन की चुदाई खत्म हो गई, लेकिन राकेश सिंह के बड़े लौड़े के लिए सीमा की चूत तड़फ रही थी।

वह मुस्कराकर कहा कि आज बाबूजी को हाथ-पैर में तेल लगाना था, जो अच्छी सेवा है। क्या मैं चला जाऊँ और उनके दर्द को दूर करने के लिए तेल लगाऊँ?
हां जाओ न, सोहन प्यार से सीमा को गले से लगाकर कहा। नेकी और पूछताछ करें!

बहू सीमा खुश होकर अपनी कमर लचकाकर दूसरे कमरे में चली गई।
उसने देखा कि ससुर जी का लंड फनफना रहा था और हिलोरें मार रहा था।

वह बैठ गई और ससुर के लंड महाराज को तेल लगाकर अपनी प्यासी बुर के छेद पर रखी।

राकेश सिंह के लंड ने बहू की चूत को देखा, सुना और सटाक से जड़ तक पहुँचा।

गृहस्थी में ससुर-बहू की यौन क्रिया चल रही थी, और सोहन खुश था कि बाबूजी की सेवा कर रहे थे।
चुदाई की सेवा पूरी होने पर पत्नी सोहन के पास जाकर सो गई।

सुबह-सुबह, हर कोई सोहन को सुहागरात की बधाई देकर घर चला गया।
तीन आदमी घर में रहते थे। राकेश, सोहन और पत्नी सीमा

सेक्स के सहारे ससुर-बहू दिन बिताने लगे।
सोहन के लंड से चुदने में मजा ही नहीं आता था, राकेश सिंह ने अपनी पत्नी सीमा को चोद चोद कर अपनी रांड बना लिया था।

फिर नौ महीने के बाद सीमा की चूत से एक सुंदर बच्चा निकला।
मेरे लंड से बच्चा हुआ, सोहन बहुत खुश था।

राकेश भी खुश था।
बच्चा अपने दादा पर चला गया, सभी लोग बधाई देने आने लगे।

बहू सीमा ने खुशी से सिर पर आंचल रखा।

अगर आप इस ससुर-बहू सेक्स कहानी से मोहित नहीं हुए तो बताओ।
हां, पसंद नहीं आया. इसलिए, सीमा चुदाई में मजा नहीं आया।

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